दीपावली का त्योहार और रमन का संकल्प
दीपावली का त्यौहार (Diwali Festival) आने वाला था। सभी के घरों में साफ-सफाई और सजावट का काम जोर-शोर से चल रहा था। बाजार रंग-बिरंगी लाइटों, मिठाइयों और खिलौनों से सज गए थे। हर तरफ खुशियों का माहौल था।
दीपावली का त्यौहार (Diwali Festival) आने वाला था। सभी के घरों में साफ-सफाई और सजावट का काम जोर-शोर से चल रहा था। बाजार रंग-बिरंगी लाइटों, मिठाइयों और खिलौनों से सज गए थे। हर तरफ खुशियों का माहौल था।
सोहन के पिता गाँव के सबसे बड़े ज़मींदार थे। सोहन उनका इकलौता पुत्र था। घर में किसी वस्तु की कोई कमी नहीं थी। नौकरों की संख्या इतनी थी कि कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं थी।
मजेदार कहानी : तुम कब बड़े होगे?- राजा तेरह साल का था। उसे अपनी मां से यह वाक्य दिन में कई बार सुनना पड़ता था। राजा को एक बड़ी अजीब परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा था।
बाल कहानी : हाथों का मूल्य - यह गर्मियों की एक दोपहर की बात है जब स्कूल की छुट्टी के बाद रमेश अपने घर लौट रहा था। हैडमास्टर होने के कारण, वह स्कूल से सबसे आखिरी में निकलता था।
Moral Stories- कक्षा दूसरी में पढ़ने वाला रोहन अपने बड़े भाई आदित्य से 15 अगस्त के बारे में जानने की कोशिश करता है। आदित्य, जो कि तीसरी कक्षा में पढ़ता है, अपनी समझ के अनुसार रोहन को 15 अगस्त के महत्व के बारे में बताने की कोशिश करता है।
एक पिता अपने काम से घर देर से पहुंचे। वह बहुत थके हुए और चिड़चिड़े हो रहे थे। जब वह घर पहुंचे तो उनका पांच साल का बेटा दरवाजे पर खड़ा उनका इंतजार कर रहा था।
एक बार बेगम साहिबा को चीन की महारानी ने एक बहुमूल्य सिल्क के कपड़े का टुकड़ा भेंट दिया था। बेगम साहिबा ने बीरबल को बुलाया और उसे कहा कि वह उनके लिए इस कपड़े की सुंदर पोशाक तैयार करवाएं।