हिंदी नैतिक कहानी: समाधान के लिये अन्दर झांको
कठिन परिस्थितियों में हम सभी आम तौर पर बाहर से सहायता की अपेक्षा करते हैं। अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि समस्या का समाधान उनके स्वंय के अन्दर ही निहित है।
कठिन परिस्थितियों में हम सभी आम तौर पर बाहर से सहायता की अपेक्षा करते हैं। अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि समस्या का समाधान उनके स्वंय के अन्दर ही निहित है।
एक समय की बात है राजू नाम का एक लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। राजू और उसकी माँ बहुत गरीब थे और राजू की माँ अपना गुज़ारा रोज़ कपड़े सिलाई करके करती थी।
एक छोटे से गाँव में, दो पंद्रह साल के लड़के रहते थे अर्जुन और रितिक। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हमेशा साथ में समय बिताते थे। गाँव के सभी लोग उनकी दोस्ती की मिसाल देते थे।
नवाब अमीरूल्लाह के पास वो सभी चीजें थीं जो एक आदमी को खुश रहने के लिए चाहिए होती हैं। उसकी एक खूबसूरत बीवी थी, एक होशियार औलाद थी और जमीन जायदाद इतनी थी कि एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए काफी पैसा मिल जाता था।
अधिकांश अध्यापक कक्षा में गम्भीर रहते हैं मगर कभी-कभी हमारा सामना किसी ऐसे अध्यापक से भी हो जाता है जो असाधारण रूप से चतुर होता है। नसीरुद्दीन एक एसे ही अध्यापक थे।
सामान्य दृष्टि वाले लोग अक्सर वह सब कुछ नहीं देख पाते जो उनके सामने होता है। इसके विपरीत वे लोग जो दृष्टि विहीन होते हैं अपने सामने की सभी वस्तुओ को ध्यान पूर्वक अपने ज्ञान में समा लेते हैं।
गांव की एक औरत अपने लड़के को प्राइमरी स्कूल में दाखिल करवाना चाहती थी। उसका खुद का बचपन भी बड़े कष्टों में बीता था। उसका पति एक मजदूर था जो रोज कमाता और रोज खाता था।