Fun Story: सच्चा मित्र
हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी। काली घटाएं पूरी तरह छा गई थीं। मेढ़क आनंद से उछल-कूद रहे थे। प्रयोगशाला में जीवविज्ञान के विद्यार्थियों को मेढ़क के बाहय एवं आंतरिक भाग की ठोस जानकारी देने के लिए अध्यापक ने एक मेढ़क मंगवाया।
हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी। काली घटाएं पूरी तरह छा गई थीं। मेढ़क आनंद से उछल-कूद रहे थे। प्रयोगशाला में जीवविज्ञान के विद्यार्थियों को मेढ़क के बाहय एवं आंतरिक भाग की ठोस जानकारी देने के लिए अध्यापक ने एक मेढ़क मंगवाया।
अप्रैल की पहली तारीख थी। सुरेश सुबह-सुबह सो कर उठने पर आज जल्दी ही नहा-धोकर चाय-नाश्ता कर तैयार हो गया था। वह सोच रहा था कि अप्रैल की पहली तारीख को किसी का बेवकूफ न बनाया जाये, तो अप्रैल फूल वाले दिन का महत्व ही क्या रहा?
चुन्नू एक छोटा सा बालक था। वह बहुत ही प्यारा भी था। चुन्नू अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा था। घर में उन तीनों के अलावा और कोई न था, सिवाय उनके घर में काम करने वाली बाई कान्ता के।
एक बार नारद मुनि पृथ्वी लोक के भ्रमण को आए। घूमते-घूमते नारद मुनि एक मंदिर के पास पहुंचे। मंदिर में भक्तों की भक्ति को देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। मंदिर में भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना कर रहे थे।
रविवार का दिन यानि छुट्टी का दिन और उस पर से ठंड का मौसम यानि दिसंबर का महीना। रूपेश के घर आज उसके सभी दोस्त मौजूद थे और आंगन में धूप में कुर्सी टेबल जमाए रूपेश अपने दोस्तों के साथ कैरम के खेल में पूरी तरह खोया हुआ था।
चुनमुन चूहा बहुत ही पेटू था। उसे हर समय सिर्फ खाने की ही फिक्र लगी रहती थी। खाने की लालच में कभी-कभी तो वह अपने पड़ोसियों के घरों में भी घुस जाता था और जो भी खाना उसे नजर आता, वह फौरन चट कर जाता।
सम्राट वीरभद्र के दान की कहानियां लोक विख्यात हो चुकी थीं। उनके संबंध में यह कहा जाता था कि द्वार पर आने वाला कोई भी याचक उनके यहां से खाली हाथ नहीं जाता था। प्रातः होते ही राजमहल के द्वार पर याचकों की भीड़ लग जाती।