Jungle Story: सफलता का रहस्य
भोलू बंदर चीकू वन में रहता था। जब वह कुछ बड़ा हुआ तो उसने सोचा कि क्यों न कुछ काम-धाम किया जाये भोलू काम की तलाश में घर से निकल पड़ा। सुबह से शाम तक वह मारा-मारा फिरता रहा कहीं पर भी उसे काम नहीं मिला।
भोलू बंदर चीकू वन में रहता था। जब वह कुछ बड़ा हुआ तो उसने सोचा कि क्यों न कुछ काम-धाम किया जाये भोलू काम की तलाश में घर से निकल पड़ा। सुबह से शाम तक वह मारा-मारा फिरता रहा कहीं पर भी उसे काम नहीं मिला।
सरिता के पिता का देहान्त कब हुआ था, उसे नहीं पता। उसे तो अपने पिता की छवि तक याद नहीं। वह तो बस मां को जानती और पहचानती थी। मां ही उसे बड़ी कठिनाई से पढ़ा रही थी।
चमन भालू बहुत ही ईमानदार और मेहनती मोची था, सभी लोग उसी के पास अपने जूते चप्पलों की मरम्मत करवाते थे। चमन का बेटा था, सोनू। वह एक नंबर का आलसी था। वह ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नही था।
सर्दियों के दिन थे, आशू अपने घर की छत पर धूप में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। उसके घर के ठीक बगल में रमा आंटी का घर था। रमा आंटी की बेटी मंजरी आशू के स्कूल में ही पढ़ती थी।
अकबर शहंशाह चांदनी महल में अपने नौ रत्नों के साथ बैठे हुए थे। उन्होंने पूछा “फूल किसका अच्छा? मिठास किसकी अच्छी? पत्ता किसका अच्छा? और राजा कौन सा अच्छा?
घर-बार और राज-परिवार छोड़कर सिद्धार्थ ने सत्य की खोज में स्वयं को समर्पित कर दिया, तो स्वाभाविक ही था कि अनेकों कष्ट, कठिनाईयों से मुकाबला करना पड़ा।
एक यवन राजा स्वामी रामानन्द जी के पास अक्सर आता था। वह बड़े सोच में था कि प्रायश्चित से किस प्रकार मन की शुद्ध हो जाती है? एक दिन उससे न रहा गया।