बच्चों की नैतिक कहानी: गुरु का आशीर्वाद
बच्चों हमारी जिन्दगी में आशीर्वाद बहुत कीमती होता है। इसमें आशीष देने वालों का ढ़ेरों प्यार छिपा होता है। इसी संदर्भ में एक कहानी है कि एक बार एक गुरू घूमते-घूमते गांव पहुंचे तो लोगों ने ढेरों स्वागत किया।
बच्चों हमारी जिन्दगी में आशीर्वाद बहुत कीमती होता है। इसमें आशीष देने वालों का ढ़ेरों प्यार छिपा होता है। इसी संदर्भ में एक कहानी है कि एक बार एक गुरू घूमते-घूमते गांव पहुंचे तो लोगों ने ढेरों स्वागत किया।
राम रतन में सोच समझ कर काम करने की बुद्धि का अभाव था। वह उतावलेपन कुछ में कुछ भी कर बैठता था। तथा फिर पछताता था। उसके मित्रों ने व उसके माता-पिता ने उसे कई बार समझाया पर उसके समझ में न आया।
एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ।
बादशाह का दरबार लगा हुआ था, सभी दरबारियों के साथ बीरबल भी बैठे थे। तभी किसी ने आकर बीरबल को भोजन के लिए आमंत्रित किया, बादशाह की आज्ञा लेकर बीरबल दावत पर जा पहुंचे।
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके पास दो बैल और दो कुत्ते भी थे। एक बार उसे किसी काम से गांव से बाहर जाना था और उसकी समस्या यह थी कि खेत जोतने का भी समय हो गया था।
अप्रैल की पहली तारीख थी। सुरेश सुबह-सुबह सो कर उठने पर आज जल्दी ही नहा-धोकर चाय-नाश्ता कर तैयार हो गया था। वह सोच रहा था कि अप्रैल की पहली तारीख को किसी का बेवकूफ न बनाया जाये, तो अप्रैल फूल वाले दिन का महत्व ही क्या रहा?
चुन्नू एक छोटा सा बालक था। वह बहुत ही प्यारा भी था। चुन्नू अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा था। घर में उन तीनों के अलावा और कोई न था, सिवाय उनके घर में काम करने वाली बाई कान्ता के।