बाल कहानी : विजय का साहस
बाल कहानी : विजय का साहस - विजय अपने माता-पिता के साथ गाँव जा रहा था। वहाँ उसकी चचेरी बहन की शादी थी। पिता जी ने शादी में देने के लिए सुन्दर सुन्दर उपहार खरीदे थे जिसमें कपड़े, बर्तन और सोने के गहने भी थे। फैजाबाद से शाम को वे सब गंगा युमना एक्सप्रेस गाड़ी से रवाना हुए जो सुबह तक उनको आगरा पहँँुचा देती। जहाँ से बस पकड़कर वे दोपहर तक गाँव पहुँच जाते।