Moral Story: इसे बेचना नहीं
एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध से पूछा, ‘‘जीवन का मूल्य क्या है?’’ बुद्ध ने उसे एक चमकता पत्थर दिया और कहा, ‘‘इसका मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसको बेचना नहीं है।’’ वह व्यक्ति बाजार में एक संतरे वाले के पास गया।
एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध से पूछा, ‘‘जीवन का मूल्य क्या है?’’ बुद्ध ने उसे एक चमकता पत्थर दिया और कहा, ‘‘इसका मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसको बेचना नहीं है।’’ वह व्यक्ति बाजार में एक संतरे वाले के पास गया।
अंगिरा ऋषि अपनी विद्वता और तेजस्विता के लिए प्रसिद्ध थे। उनके मार्गदर्शन में अनेक शिष्य ज्ञान प्राप्त कर अपना जीवन सफल बनाते थे। उदयन उनका एक अत्यंत प्रतिभावान शिष्य था। ऋषि उसके प्रति स्नेह रखते थे।
ईसा मसीह अपने निकट आने वाले हर छोटे बड़े इंसान पर समान रूप से प्रेम बरसाते थे। एक दिन वह अनेक दुखी पीड़ित लोगों से मिल रहे थे, तभी उनके कुछ विरोधी वहां आ पहुँचे। उन्हें ईसा मसीह का यह आचरण नागवार गुजरा।
एक था राजा, उसकी एक बेटी थी। वह बहुत सुंदर और चतुर लेकिन घमंडी थी। कोई भी उसे नाम लेकर नहीं बुलाता था।उसकी सहेलियां भी उसे हर समय राजकुमारी जी कहकर पुकारती थीं। बहुत से लोगों को तो उसका नाम भी पता नहीं था।
राम, कृष्ण और मोहन तीन भाई थे, वह सभी बहुत गरीब थे, वह एक फैक्ट्री में काम करते थे। एक दिन वह अपने गांव के मंदिर में गए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की, कि भगवान उन्हें अमीर बना दे। अचानक उनसे भगवान बात करने लगे।
रात का दूसरा पहर था। गाँव में चारों तरफ सन्नाटा था। केवल झींगुरों का स्वर सुनाई पड़ रहा था। हर रात की भांति गोविन्द लाल की दुकान के बरामदे में एक पहरेदार पहरेदारी कर रहा था। पहरेदार अंधा था।
एक लड़का था जिसका नाम सुरेश था, वह बहुत गरीब था। लेकिन गरीब होने के बावजूद वह बहुत उम्दा कलाकार था। उसने कई पेंटिंग्स बनाई जिसके लिए लोगों ने उसे बहुत सराहा। लेकिन एक समस्या थी।