Jungle Story: दूसरे का हक
बहुत पहले की बात है। चंपक वन में भाँति-भाँति प्रकार के पौधे थे। इस वन में पक्षीराज गरूड़ रहा करते थे। वे बड़ी पारखी नजर रखते थे। पंछियों के गुण दोष वे एक नजर मे ही परख लिया करते।
बहुत पहले की बात है। चंपक वन में भाँति-भाँति प्रकार के पौधे थे। इस वन में पक्षीराज गरूड़ रहा करते थे। वे बड़ी पारखी नजर रखते थे। पंछियों के गुण दोष वे एक नजर मे ही परख लिया करते।
दीवाली पर जंगल में सौन्दर्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसीलिए तो सभी जानवरों ने इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए जान लगा दी थी। दीवाली के आने से पहले ही पूरे जंगल में चहल-पहल बढ़ गई थी।
सुंदर वन में सभी छोटे-बड़े जानवर आपस में बहुत मिल जुल कर रहते थे। सभी जानवरों ने अपने-अपने काम बाँट रखे थे। सभी अपना-अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करते थे, इसलिए कभी किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी।
तोंदूमल हाथी को एक बुरी आदत पड़ गई थी वह हर वक्त अपनी तोंद में कुछ न कुछ भरता ही रहता था। वह जो कुछ खाता, उधार लेकर खाता और किसी के पैसे न देता।
सुन्दर वन के राजा बब्बर शेर को अपनी ताकत पर बहुत घंमड हो गया था। वह सुन्दर वन में रहने वाले अन्य पशुओं को बहुत तंग करता था। अगर अकेले दुकेले में कोई पशु सामने पड़ जाता तो बब्बर शेर उस को मार कर खा जाने में परहेज नहीं करता।
हिमाचल के घने जंगल में हाथियों का एक विशाल झुंड रहता था। उन सब में बहुत एकता थी। एक दूसरे की वे सब खूब सहायता करते थे। सबने मिलकर एक बूढ़े हाथी को मुखिया बना रखा था। सब मुखिया की बात मानते थे।
किसी जंगल में एक बहुत पुराना आम का पेड़ था। उस पेड़ के अन्दर एक खरगोश और गिलहरी साथ रहते थे। दोनों रोज़ सुबह खाने के लिए जाते और शाम को वापस आते और उसी पेड़ में रहते।