Moral Story: तीन मूर्ख
बहुत समय पहले हरिपुर में एक राजा राज करता था। उसका नाम सुप्रताप सिंह था। यों सुप्रताप सिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम थे। जैसे की वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था।
बहुत समय पहले हरिपुर में एक राजा राज करता था। उसका नाम सुप्रताप सिंह था। यों सुप्रताप सिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम थे। जैसे की वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था।
चंपक वन में जंबो हाथी की किराने की दुकान थी। एक दिन अचानक दुकान में आग लग गई। सारा सामान जल गया। कुछ भी नहीं बचा। नगद रूपए भी जल गए। जंबो ने बहुत से जानवरों को उधार दे रखे थे।
अशरफ को समझ में नहीं आ रहा था की वह पापा को कैसे समझाए कि उनके कारण लड़के उसे जल्लाद का बेटा कहते हैं। उसके पापा नगर के सरकारी अस्पताल में कम्पाउंडर हैं, उन्हें जरा-जरा सी बात पर क्रोध आ जाता है।
एक कंजूस के पास काफी धन था। लेकिन फिर भी वह संतुष्ट नहीं था। वह हर समय सोचा करता था कि और अधिक धन कैसे कमाया जाये? उस कंजूस का नाम हजारीमल था।
एक बार सिकंदर और उसके गुरू अरस्तु कहीं जा रहे थे रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता था। कुछ दूर उफनता हुआ बरसाती नाला था। उसे पार किए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं था।
चंपक वन का राजा शेर सिंह और श्यामल भालू दोनों मित्र थे। दोनों की मित्रता इतनी गहरी थी कि बगैर एक दूसरे को देखे चैन नहीं पड़ता था। एक दिन श्यामल भालू, राजा शेर सिंह के पास नहीं जा सका।
चंचल वन के शिव मन्दिर में कुछ दिन से लगातार चोरियां हो रहीं थीं। मन्दिर का पूरा चढ़ावा इस तरह से गायब हो जाता था कि मानो वहां कुछ था ही नहीं। चोर का अभी तक कुछ पता नहीं चल पा रहा था। इसलिए वन के सभी प्राणी बहुत चिंतित थे।