हिंदी नैतिक कहानी: द ग्रेटेस्ट टीचर
उस दिन की दोपहर झामू (घर का नौकर) के लिए काफी व्यस्त थी क्योंकि वो पूरा दिन मूर्ति के पीछे भागता रहा। मूर्ति बड़ा ही शरारती बच्चा था और वो कभी किसी का कहा नहीं मानता था।
उस दिन की दोपहर झामू (घर का नौकर) के लिए काफी व्यस्त थी क्योंकि वो पूरा दिन मूर्ति के पीछे भागता रहा। मूर्ति बड़ा ही शरारती बच्चा था और वो कभी किसी का कहा नहीं मानता था।
रामू पढ़ाई में बहुत ही होशियार था उसके मन में बहुत उम्मीदें थीं, कि वह पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेगा। पर वह हमेशा उदास रहता था परीक्षा निकट थी रामू की मां ने देखा वह हमेशा चुप उदास बैठा आसमान देखा करता है।
रीता और रंजन भाई-बहन थे। उनके पिता जी का तो व्यापार था। इसलिए वे अपने व्यापार में व्यस्त रहते थे। महीने में पंद्रह दिन तो व्यापार के सिलसिले में बंगलौर रहते थे। घर में मां का ही हुक्म चलता था।
एक महात्मा से किसी ज्ञानवान मनुष्य ने पूछा- हर बरस रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है? जबकि वह तो कब का मर चुका है। महात्मा ने कहा- जिस तरह आम का कोई वृक्ष मीठे फलों की जगह जहरीले फल देना शुरू कर देता है।
एक राजा अत्यन्त निर्दयी और अत्याचारी था। वह जनता को हर तरह से दुःख और कष्ट दिया करता। सारी जनता राजा के व्यवहार से दुःखी रहती थी। अचानक एक दिन उस राजा के राज्य में एक साधु आया।
उन दिनों रामकृष्ण परमहंस बेहद बिमार थे, चारपाई से उठने की शक्ति भी उनमें नही बची थी उनके निकट संबंधी और भक्तगण उनकी इस दशा पर बेहद चिंतित थे।
चंपक वन में एक तालाब था वहां खूब हरियाली थी उस तालाब के पास कछुए का भी एक परिवार रहता था। कछुआ उस परिवार में सबसे छोटा था। छोटा होने के कारण उसकी हर फरमाइश पूरी की जाती।