Fun Story: नटखट चुन्नू
रोमा गिलहरी जाते-जाते अपने नटखट बेटे चुन्नू से बोली, “मैं भोजन की तलाश में बाहर जा रही हूं। तुम घर में ही रहना, बाहर मत निकलना झाड़ी के उस पार इंसानों की बस्ती है। वे हमारे लिए खतरनाक हैं"।
रोमा गिलहरी जाते-जाते अपने नटखट बेटे चुन्नू से बोली, “मैं भोजन की तलाश में बाहर जा रही हूं। तुम घर में ही रहना, बाहर मत निकलना झाड़ी के उस पार इंसानों की बस्ती है। वे हमारे लिए खतरनाक हैं"।
एक थे पंडित जी नाम था अकलूराम जब तक उनके पिताजी थे, उन्हें रोजी-रोटी सम्बन्धि जरा भी चिंता नहीं हुई क्योकि पिताजी को जजमानों के यहां से अच्छी खासी-आमदनी हो जाया करती थी। अकलू राम भरपेट खाते और गप्पे हांका करते थे।
चमनपुर गांव में एक सुखिया नाम का कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। वह गधा ही उसके परिवार के पालन पोषण का साधन था। सुखिया गांव के व्यापारियों का माल शहर से गांव तक गधे पर लादकर लाता था।
प्रकाश आठवीं कक्षा में पढ़ता था। वह नित्य नियम से सवेरे जल्दी उठकर पार्क में घूमने जाया करता था। आज भी वह हमेशा की भांति पार्क से घूमकर लौटा तो मां ने उसे गिलास भर दूध लाकर दिया।
अप्पू हाथी और गप्पू बन्दर पक्के दोस्त थे। पिछले तीन सालों से वे एक ही कक्षा में पढ़ते-पढ़ते ऊब गये थे। पढ़ाई-लिखाई में उनका मन नहीं लगता था। दिन भर स्कूल में अध्यापकों से डांट खाते थे और शाम को मम्मी-पापा से।
नेहरूजी एक राजकुमार से कम नहीं थे, उनके पास दौलत की भी कोई कमी नहीं थी। उनके दर पे जो भी याचक आता कुछ न कुछ लेकर ही जाया करता। वैसे वे प्रतिदिन दान भी खूब दिया करते।
राजेश एक दिन स्कूल से लौटा तो उसकी मां बोली 'बेटा, तूने कुछ सुना? अपने गांव में हरिनाथ के खेत में भगवानजी पैदा हुए हैं। उनके मुंह से कभी-कभी आवाजें भी निकलती हैं। बेटा, मुझे भी तुम उनके दर्शन करा लाओ न।