Jungle Story: बड़ा काम
चमन भालू बहुत ही ईमानदार और मेहनती मोची था, सभी लोग उसी के पास अपने जूते चप्पलों की मरम्मत करवाते थे। चमन का बेटा था, सोनू। वह एक नंबर का आलसी था। वह ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नही था।
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चमन भालू बहुत ही ईमानदार और मेहनती मोची था, सभी लोग उसी के पास अपने जूते चप्पलों की मरम्मत करवाते थे। चमन का बेटा था, सोनू। वह एक नंबर का आलसी था। वह ज्यादा पढ़ा-लिखा भी नही था।
सर्दियों के दिन थे, आशू अपने घर की छत पर धूप में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। उसके घर के ठीक बगल में रमा आंटी का घर था। रमा आंटी की बेटी मंजरी आशू के स्कूल में ही पढ़ती थी।
अकबर शहंशाह चांदनी महल में अपने नौ रत्नों के साथ बैठे हुए थे। उन्होंने पूछा “फूल किसका अच्छा? मिठास किसकी अच्छी? पत्ता किसका अच्छा? और राजा कौन सा अच्छा?
घर-बार और राज-परिवार छोड़कर सिद्धार्थ ने सत्य की खोज में स्वयं को समर्पित कर दिया, तो स्वाभाविक ही था कि अनेकों कष्ट, कठिनाईयों से मुकाबला करना पड़ा।
एक यवन राजा स्वामी रामानन्द जी के पास अक्सर आता था। वह बड़े सोच में था कि प्रायश्चित से किस प्रकार मन की शुद्ध हो जाती है? एक दिन उससे न रहा गया।
एक बार कि बात है की अमरीका के प्रधानमंत्री ने अपने विदेश मंत्री से कहा जरा भारत जाकर देखो कि कौन सी अच्छी वस्तु है। उनके साथ अन्य और कई मंत्री फौरन चलने को तैयार हो गये।
दामोदर जैसे ही हाकी लेकर मैदान में घुसा, असलम तेजी से उसके पास आकर बोला “खिलाड़ी तो पूरे हैं, तुम बाहर बैठो।” दामोदर चुपचाप मैदान के बाहर आ गया। उसकी बड़ी इच्छा थी कि कालेज टीम के चयन के लिए हो रहे हॉकी मैचों में वह भी खेले।