Motivational Story: अपहरण
राजू आज भी नित्य की भांति स्कूल से घर की ओर अकेला चल पड़ा था। पहले तो उसके पापा स्कूल छोड़ने जाते थे। छुट्टी हो जाने पर ले आते थे। किन्तु जब से वह कक्षा दस में गया, तब से वह अकेला ही स्कूल से घर और घर से स्कूल आता-जाता था।
राजू आज भी नित्य की भांति स्कूल से घर की ओर अकेला चल पड़ा था। पहले तो उसके पापा स्कूल छोड़ने जाते थे। छुट्टी हो जाने पर ले आते थे। किन्तु जब से वह कक्षा दस में गया, तब से वह अकेला ही स्कूल से घर और घर से स्कूल आता-जाता था।
चीन के दार्शनिक कन्फ्यूशियस की कीर्ति चारों ओर फैली थी। लोग उनसे मिलने दूर-दूर से आते थे। उनसे मिलने की उत्कंठा में एक दिन एक राजा उनके पास पहुँचे।
एक बार एक छोटी लड़की अपने घर के बगीचे में पर्यावरण की सुंदरता का मज़ा ले रही थी। उसके पिता ने बगीचे में बहुत खूबसूरत पौधे लगाए हुए थे। उन्होंने पौधों को काफी देखभाल के साथ बड़ा किया था।
महान दार्शनिक सुकरात के पास एक बार एक नौजवान लड़का आया। इस लड़के ने सुकरात से पूछा, ‘कृपया बताएं, सफलता का रहस्य क्या है? वह लड़के की बात सुनकर थोड़ी देर चुप रहे फिर उन्होंने कहा, ‘मैं तुम्हें इसका उत्तर कल दूँगा।
एक था किसान, उसके दो पुत्र थे। थोड़ी सी जमीन थी उसके पास, जिसके बल बूते पर उसने अपने परिवार का पेट पाला था। और इसके अतिरिक्त कुछ थोड़ा बहुत धन भी बचाया था।वह किसान बहुत ही मेहनती था।
एक बार की बात है, दो जुड़वा पोलर बेयर थे। माँ की देख -रेख में दोनों के दिन अच्छे गुजर रहे थे कि एक दिन माँ ने ऐलान कर दिया, ‘‘कल से तुम्हे खुद अपना ख्याल रखना होगा।
जैसे ही रात हुई, आस-पड़ोस के बच्चों ने दादी को फिर आ घेरा कहानी सुनने के लिए। बच्चों में अजय, संजय, दिलीप, गीता, राजू, मोहम्मद और सरदार अचरज सिंह का बेटा रणजीत व जेकब सभी थे।