Motivational Story: मुझे कहाँ ढूंढे रे बन्दे?
एक मोची भगवान का सच्चा भक्त था। जब वह प्रतिदिन जूते मरम्मत व गांठने का काम करता तो उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहती रहती। वह मन ही मन कहता- हे भगवान! मैं कब आपके सुंदर मुख के दर्शन कर सकूंगा?
एक मोची भगवान का सच्चा भक्त था। जब वह प्रतिदिन जूते मरम्मत व गांठने का काम करता तो उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहती रहती। वह मन ही मन कहता- हे भगवान! मैं कब आपके सुंदर मुख के दर्शन कर सकूंगा?
चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री था। एक अदने ब्राहमण से वह महामंत्री बना था। नंद के अपमान फलस्वरूप उसने प्रतिज्ञा की थी, ‘मैं नंद का वंश-वृक्ष समूल रूप से नष्ट कर दूंगा।’
छत्रपति शिवाजी एक कुशल शासक होने के साथ ही साथ अनुशासन प्रिय योद्धा भी थे। अपने किलों की सुरक्षा और सैनिक व्यवस्था के प्रति उनकी सजग दृष्टि रहती थी। उनके किलों में रायगढ़ का किला सबसे महत्वपूर्ण था।
विजय और अजय दोनों भाई कक्षा सात में पढ़ते थे। दोनों साथ साथ घर से स्कूल और स्कूल से घर आते जाते थे। विजय पढ़ने में बहुत तेज था हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आता था। विजय कमजोर छात्रों की सहायता करता था।
मेरे पिता की सिर्फ एक आंख थी, मुझे उनसे नफरत थी, उनके साथ होते हुए मुझे शर्म आती थी। वह परिवार को चलाने के लिए छात्रों और शिक्षकों के लिए खाना बनाते थे। एक दिन जब मैं प्राथमिक पाठशाला में था, मेरे पिता मुझे हैलो कहने आए थे।
रूस्तम अपने ज़माने का एक प्रसिद्ध पहलवान था, उसने हज़ारों कुश्तियां जीतीं, खूब नाम कमाया, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था इसलिए कोई उसे पूछता नहीं था। एक दिन रुस्तम के सामने एक लड़का आ खड़ा हुआ, उसका एक ही हाथ था।
दानिश एक मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का था वह पढ़ने लिखने में होशियार था, उसने 10वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक पाए, दानिश अपनी मार्कशीट लेकर अपने घर पहुंचा तो उसके पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी से अपनी पत्नी को कहा।