Moral Story: अनोखा बंटवारा
स्वर्ण नगरी के राजा नरपत सिंह बहुत ही सहनशील और न्यायप्रिय थे। वे सदा अपनी जनता के विषय में ही सोचते रहते थे। उन्होनें अपने राज्य में बहुत सी सुख-सुविधाएं भी लोगों को दे रखी थी।
स्वर्ण नगरी के राजा नरपत सिंह बहुत ही सहनशील और न्यायप्रिय थे। वे सदा अपनी जनता के विषय में ही सोचते रहते थे। उन्होनें अपने राज्य में बहुत सी सुख-सुविधाएं भी लोगों को दे रखी थी।
बहुत पहले की बात है। उन दिनों चीन की दीवार का निर्माण जोरों पर था। पुसान वंश का सम्राट शिह हुआंग बहुत दुष्ट था। दीवार के निर्माण के लिए उसने जबरन गांवों से अनेक किसानों को बुलवा लिया था।
नन्हा नन्दू एक अच्छा चित्रकार था। अभी उसे न पढ़ना आता था, न लिखना, पर उसने चित्र बनाना सीख लिया था। जब भी मम्मी या पापा बाजार जाते नन्दू अपनी फरमाइशों की एक लम्बी लिस्ट उन्हें पकड़ा देता।
नंदन वन और सुन्दर वन पास-पास ही थे। नन्दन वन की खुशहाली सुन्दर वन के जानवरों को फूटी आंख न सुहाती थी। सुन्दर वन का राजा किसी भी तरह नन्दन वन पर कब्जा करना चाहता था। नंदन वन का राज वीर बहादुर शेर बहुत पराक्रमी था।
अपनी मातृभूमि और अपने स्वामी के साथ विश्वासघात करने के कारण कौशाम्बी राज के मंत्री शिवलाल को अपने दो जवान सैनिक पुत्रों के साथ-साथ अपनी भी जान गंवानी पड़ी। और आखिर कोशाम्बी राजा का विनाश हुआ।
एक बकरी थी और एक उसका मेमना। दोनों जंगल में चर रहे थे। चरते-चरते बकरी को प्यास लगी। मेमने को भी प्यास लगी। बकरी बोली- “चलो, पानी पी आएँ।” मेमने ने भी जोड़ी, “हाँ माँ! चलो पानी पी आएँ।”
टोनी अपनी कक्षा में एक नम्बर के शरारती बच्चों में गिना जाता है। पढ़ने से मन चुराना उस की आदत थी। अपने किसी सहपाठी से वह इतनी चालाकी और सावधानी से शरारत करके फिर अपनी सीट पर ऐसे जा बैठता।