Motivational Story: घाव-घाव में फर्क
एक सेनापति था, नाम था दुर्जन सिंह सेनापति दुर्जन सिंह बहुत वीर और साहसी व्यक्ति थे। युद्ध क्षेत्र में शत्रुओं को पछाड़ने के लिए वे स्वंय हाथ में भाला और धनुष बाण लेकर कूद पड़ते थे।
एक सेनापति था, नाम था दुर्जन सिंह सेनापति दुर्जन सिंह बहुत वीर और साहसी व्यक्ति थे। युद्ध क्षेत्र में शत्रुओं को पछाड़ने के लिए वे स्वंय हाथ में भाला और धनुष बाण लेकर कूद पड़ते थे।
पुराने समय की बात है रत्नपुर राज्य में रामसिंह नामक एक राजा राज करता था। उसकी रानी का नाम रूपवती था। वह बहुत सुन्दर थी राजा उसे इस कदर चाहता था कि गंभीर मामलों में भी अपनी रानी की सलाह लिए बिना काम नहीं करता था।
विश्व विजयी सिकन्दर अपनी विशाल सेना के साथ ईरान देश को जीत कर बड़े अभिमान से जा रहा था। सड़क के दोनों ओर हज़ारों आदमी सिर झुकाये हुए उसकी दया दृष्टि के लिये लालायित खड़े हुए थे।
एक था राजा, उसके राज्य की प्रजा बहुत सुखी और समृद्ध थी। लेकिन खुद वह बेचारा बहुत दुखी रहता था। इसका कारण राजा के चेहरे व पैरों में कुछ सफेद निशान थे। उसने अनेक वैद्यों से इसका इलाज करवाया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
बहुत दिन पहले एक रात रामगढ़ राज्य में चार चोर चोरी करने निकले। उन दिनों राज्य का राजा रात के समय भेष बदलकर जनता के दुख दर्द जानने के लिए घूमा करता था। संयोग से उन चोरों का सामना राजा से हो गया। राजा ने पूछा, ‘तुम लोग कौन हो?
मां का अंतिम संस्कार करके शोक संतप्त युवा बेटे ने अपने दुखी पिता को कहा? ‘‘पिता जी, आप भी हमारे साथ आकर क्यों नहीं रहते?’’ वृद्ध पिता पहले तो कुछ झेंप सा गया और फिर कहने लगा।
महाभारत के अद्वितीय योद्धा महाबली भीम के बल और पौरूष में तुलना करने वाला उस समय कोई नहीं था। इनका जन्म वायु देव के अंग से हुआ था। इनके जन्म के समय यह आकाशवाणी हुई थी, कि यह कुमार बलवानों से सर्वश्रेष्ठ होगा।