बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी: सूरज
काफी समय की बात है। तीन दोस्त- रमन, श्याम और सूरज गांव से शहर की ओर नौकरी की तलाश में जा रहे थे। इनमें रमन और श्याम तो तेज थे लेकिन सूरज बहुत सीधा था दोनों मित्र हर काम सूरज से ही करवाते थे।
काफी समय की बात है। तीन दोस्त- रमन, श्याम और सूरज गांव से शहर की ओर नौकरी की तलाश में जा रहे थे। इनमें रमन और श्याम तो तेज थे लेकिन सूरज बहुत सीधा था दोनों मित्र हर काम सूरज से ही करवाते थे।
भईया लाल एक डरपोक किस्म के व्यक्ति थे। भूत-प्रेत, जादू-टोना, बस इन्ही को लेकर वह अक्सर परेशान रहते थे। क्योंकि बचपन से ही वह एक ऐसे माहौल में रहे थे जहां पर हमेशा ऐसी अन्धविश्वासी बातों का जिक्र चल जाया करता था।
बरसों पुरानी बात है, हरिपुर का राजा था भद्रसेन वह अपनी न्यायप्रियता और दयालु स्वभाव के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। एक दिन एक देवता, राजा भद्रसेन पर उसकी दयालुता और न्यायप्रियता के कारण प्रसन्न हो गए।
एक महात्मा अपने शिष्यों के साथ पैदल भ्रमण करने को निकले। निर्माणाधीन मंदिर के पास उनकी तीव्र दृष्टि तीन मजदूरों पर पड़ी। उन्होंने उत्सुकतापूर्वक पहले से पूछा, "क्यों भाई क्या रहे हो?"
प्रीतमपुर में एक जाट रहता था। साधारण नहीं बल्कि जिसके बारे में कहा जाता था, "दूसरों को मूर्ख बनाओ, और मौज उड़ाओ"। उस जाट को सब गंगू कह कर पुकारते थे। एक बार गंगू को एक बैल की आवश्यकता पड़ गई।
बहुरूपिया राजा के दरबार में पहुंचा, और बोला "यशपताका आकाश में सदैव फहराती रहे। बस दस रूपये का सवाल है, महाराज से बहुरूपिया और कुछ नहीं चाहता"। "मैं कला का परखी हूं।
एक समय की बात है। किसी नदी में पांच छ: लड़के नहा रहे थे। नदी शांत थी। लड़के नहाने में खूब आनन्दित थे। बेसुध धमा चौकड़ी मचा रहे थे। अचानक एक लड़का चिल्लाने लगा। सब लड़के चौंक उठे, सबने उसकी ओर देखा।