हिंदी प्रेरक कहानी: दिव्य शक्ति
उन दिनों रामकृष्ण परमहंस बेहद बिमार थे, चारपाई से उठने की शक्ति भी उनमें नही बची थी उनके निकट संबंधी और भक्तगण उनकी इस दशा पर बेहद चिंतित थे।
उन दिनों रामकृष्ण परमहंस बेहद बिमार थे, चारपाई से उठने की शक्ति भी उनमें नही बची थी उनके निकट संबंधी और भक्तगण उनकी इस दशा पर बेहद चिंतित थे।
सूर्य नगर में धनंजय नाम का एक बहुरूपिया रहता था अपनी रूप बदलने की कला को प्रदर्शित कर वह लोगों को प्रसन्न करता था। और अपनी जीविका चलाता था इस कला में वह इतना दक्ष था कि कई बार लोग उसे पहचान नहीं पाते थे।
चंपक वन में एक तालाब था वहां खूब हरियाली थी उस तालाब के पास कछुए का भी एक परिवार रहता था। कछुआ उस परिवार में सबसे छोटा था। छोटा होने के कारण उसकी हर फरमाइश पूरी की जाती।
पुरानी बात है, सुन्दरनगर नाम का एक गांव था वहां के अधिकतर लोग खेती बाड़ी करते थे। स्त्री-पुरूष सभी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। आपस में मिलजुल कर औैर बड़े प्रेम भाव से रहते थे।
डॉण मार्क एक प्रसिद्ध कैंसर स्पैश्लिस्ट थे, एक बार किसी सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसी दूर के शहर जा रहे थे। वहां उनको उनकी नई मैडिकल रिसर्च के महान कार्य के लिए पुरस्कृत किया जाना था।
एक सेठ था वह बड़ा ही कंजूस था जीवन में उसने बहुत धन कमाया पर कौड़ी-कौड़ी दांत में दबाकर रखी। कभी किसी को एक भी पैसा नहीं दिया। यहां तक कि अपने बीवी बच्चों को भी पैसे को हाथ न लगाने दिया।
मुर्खानंद गधे ने जब होटल खोला, तो जंगल के जानवरों को बड़ा आश्चर्य हुआ। कारण वे सभी यह अच्छी तरह जानते थे कि गधे जी होटल नहीं चला पाएँगे। भला अनपढ़ भी किसी काम का होता है।