Moral Story: वृद्ध दम्पत्ति की चतुराई
किसी गांव में जमुना प्रसाद और रूकमणी देवी नामक एक वृद्ध दम्पत्ति रहते थे। उनका एकलौता पुत्र बिरजू शहर में नौकरी करता था। बिरजू बार-बार उन दोनों को गांव की जमीन बेच कर शहर आ जाने के लिए कहता रहता।
किसी गांव में जमुना प्रसाद और रूकमणी देवी नामक एक वृद्ध दम्पत्ति रहते थे। उनका एकलौता पुत्र बिरजू शहर में नौकरी करता था। बिरजू बार-बार उन दोनों को गांव की जमीन बेच कर शहर आ जाने के लिए कहता रहता।
काफी पुरानी बात है, अरब में एक अरबपति सेठ रहा करता था। नाम था शेख इन्हास इबूने मूसा। सेठ इधर उधर भ्रमण करने का शौकीन था। एक बार उसने रेगिस्तान में यों ही इधर उधर घूमने फिरने की सोची।
थके कदमों से सुरेश अपनी क्लास में दाखिल हुआ। डर से उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था। आज भी वह पिकनिक जाने के लिए बीस रुपए नहीं जुटा सका था। उसने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। क्लास में उसके कदम रखते ही एक ठहाका गूंजा।
बहुत समय पहले की बात है। काशीपुर में महेंद्र नामक एक राजा रहते थे। राजा महेंद्र की न्याय प्रियता दूर-दूर तक फैली हुई थी दूसरे देश के लोग भी राजा महेंद्र के पास फैसला करवाने के लिए आते थे।
रामपुर के सेठ रामलाल, बहुत ही समझदार दानी व नेकदिल इन्सान थे। इस कारण गाँव के सभी लोग उनको चाहते थे। एक दिन, उनके एक दरबान ने आकर, उनको यह खबर दी कि, कुछ दिन पहले, गांव में एक पहुंचे हुए महात्मा पधारे हैं।
तेरह वर्षीय काली उछलता-कूदता पाठशाला की ओर बढ़ता जा रहा था। फुटपाथ के किनारे लगी रेलिंग की छड़ को गिनते-गिनते सहसा उसका पैर पटरी पर उभरे हुए एक पत्थर से टकराया और वह संभलता-संभलता भी धड़ाम से गिरा।
रतन और रोज़ी भाई बहन थे। दोनों अपनी विधवा मां के साथ एक गांव में रहते थे। एकबार पास के ही गांव में मेला लगा हुआ था। रतन और रोज़ी के दोस्त मेला देख आए थे। इन दोनों की भी इच्छा थी कि मेला देखने जाएं।