Fun Story: सम्राट पेटू नंद
वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते हैं जो खाने के लिए जिंदा रहते हैं। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे।
वैसे तो इस दुनिया में लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी पाये जाते हैं जो खाने के लिए जिंदा रहते हैं। ऐसे लोगों में से एक हमारे सहपाठी पेटूनंद जी थे।
किसी गांव में एक किसान रहता था, उसकी एक सुन्दर बेटी थी। दुर्भाग्यवश, गांव के जमींदार से उसने बहुत सारा धन उधार लिया हुआ था। जमींदार बूढ़ा था। किसान की सुदंर बेटी को देखकर उसे उसके साथ विवाह करने की इच्छा हुई।
देखने में तो कविता लापरवाह और बुद्धू सी लगती थी परन्तु थी बहुत होशियार। चलते-फिरते उठते-बैठते यहां तक कि सोते में भी वह बहुत चैकन्नी रहती थी। छोटी से छोटी बात पर भी उसका ध्यान अनायास ही चला जाता था।
एक धनी व्यक्ति का बटुआ बाजार में गिर गया। बटुए में जरूरी कागजों के अलावा कई हज़ार रूपये भी थे। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि बटुआ मिल जाए तो प्रसाद चढ़ाऊंगा, गरीबों को भोजन कराऊंगा आदि।
किसी गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही गरीब था, परन्तु बहुत मेहतनी आदमी था। एक दिन जब वह पेड़ पर चढ़ कर लकड़ी काट रहा था, तब उसने मन में सोचा कि रोज़ पचास सौ रूपए की लकड़ी को बेचकर हमारा कुछ भी नहीं होता।
भोला भालू ने जंगल में मिठाई की दुकान खोल रखी थी। उसकी मिठाईयां स्वादिष्ट भी होती थीं और बिकती भी खूब थीं। भोला भालू बहुत भोला था। अपने परिवार में तो क्या, आस-पड़ोस में भी यदि कोई जानवर बीमार पड़ जाता तो वह सेवा में लगा रहता।
राजू आज भी नित्य की भांति स्कूल से घर की ओर अकेला चल पड़ा था। पहले तो उसके पापा स्कूल छोड़ने जाते थे। छुट्टी हो जाने पर ले आते थे। किन्तु जब से वह कक्षा दस में गया, तब से वह अकेला ही स्कूल से घर और घर से स्कूल आता-जाता था।