Motivational Story: प्राण की बाजी
एक बार उत्तरी वर्जिनिया में कुछ युवक भ्रमण के लिए पहुंचे। भ्रमण करते-करते एक जगह जब वे भोजन करने के लिए बैठे तो उन्हें किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनाई दी। वह जोर-जोर से कह रही थी, मुझे छोड़ दो, मुझे छोड़ दो।
एक बार उत्तरी वर्जिनिया में कुछ युवक भ्रमण के लिए पहुंचे। भ्रमण करते-करते एक जगह जब वे भोजन करने के लिए बैठे तो उन्हें किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनाई दी। वह जोर-जोर से कह रही थी, मुझे छोड़ दो, मुझे छोड़ दो।
एक कंपनी को एक योग्य व्यक्ति की तलाश थी। इसके लिए अखबारों में विज्ञापन दिया गया। पचास लोग साक्षात्कार देने आए। साक्षात्कार लेने के लिए खुद कंपनी का मालिक अपने एक मित्र के साथ बैठा।
आधी छुट्टी की घंटी बजी तो बच्चे अपना अपना बस्ता उठा कर पार्क की ओर भागे। कुछ स्कूल कैन्टीन में चले गए। इन बच्चोें में एक बच्चा ऐसा भी था, जो सबसे अलग जा रहा था। जब वह खाना नहीं लाता था।
पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे।
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया। कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये। हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल खराब हो जाये।
एक छोटा लड़का अपने स्कूल की मैगजीन बेच रहा था और एक ऐसे घर पर पहुंचा जो बहुत पुराना और जर्जर था। इस घर में एक वृद्ध व्यक्ति रहता था जो न तो बाहर आता था और न ही पड़ोसियों से या आने-जाने वालों से कोई संबंध रखता था।
एक जाने-माने व्यक्ति ने अपने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी बात शुरू की। उसने सामने बैठे सैकड़ों लोगों से पूछा, "ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?" एक साथ कई हाथ उस नोट को लेने के लिए उठे।