Moral Story: समय का मूल्य
कॉलेज में आज बड़ी चहल पहल थी चारों तरफ हंगामा था, सब एक दूसरे से बढ़-चढ़ कर सज संवर कर आये थे। आते भी क्यों ना? आज के दिन का तो वह बहुत दिनों से इन्तजार कर रहे थे। क्योंकि आज उनका परीक्षा फल निकलने वाला था।
कॉलेज में आज बड़ी चहल पहल थी चारों तरफ हंगामा था, सब एक दूसरे से बढ़-चढ़ कर सज संवर कर आये थे। आते भी क्यों ना? आज के दिन का तो वह बहुत दिनों से इन्तजार कर रहे थे। क्योंकि आज उनका परीक्षा फल निकलने वाला था।
बहुत पुराने समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक गरीब रहता था। वह मूर्तियों का निर्माण करके, उन्हें गांव-गांव बेचकर अपना जीवन निर्वाह करता था। इससे वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी ही जुटा पाता था।
कल्लू, लल्लन और मुन्ना तीनों लड़के सड़क के किनारे बैठकर खिलौने बेचा करते थे तीनों अपनी अपनी टोकरी में तरह तरह के खिलौने भरकर सुबह ही अपनी जगह पर आकर बैठ जाते थे। वह इलाका भीड़वाला और बाजार के करीब था।
बहुत समय पहले हरिपुर में एक राजा राज करता था। उसका नाम सुप्रताप सिंह था। यों सुप्रताप सिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम थे। जैसे की वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था।
अशरफ को समझ में नहीं आ रहा था की वह पापा को कैसे समझाए कि उनके कारण लड़के उसे जल्लाद का बेटा कहते हैं। उसके पापा नगर के सरकारी अस्पताल में कम्पाउंडर हैं, उन्हें जरा-जरा सी बात पर क्रोध आ जाता है।
एक बार सिकंदर और उसके गुरू अरस्तु कहीं जा रहे थे रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता था। कुछ दूर उफनता हुआ बरसाती नाला था। उसे पार किए बिना आगे बढ़ना संभव नहीं था।
सुरेश अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था। पढ़ने-लिखने में वह बिलकुल ही कमजोर था। साथ ही उसमें ये कमी थी कि वो खुद को बहुत ही बुद्धिमान समझता था। किसी को कुछ करते देख लेता तो तुरंत उसकी नकल उतारने लगता।