Stories Moral Story: योग्य विश्वामित्र विश्वामित्र ने ऋषि, महर्षि और उसके बाद राज ऋषि तक की उपाधि पा ली थी, मगर कोई उन्हें महाऋषि का दर्जा नहीं दे रहा था। जब भी कहीं ऐसी कोई चर्चा चलती, उन्हें यही सुनने को मिलता कि महाऋषि तो वशिष्ठ हैं। By Lotpot 23 Dec 2023
Stories Moral Story: क्षमा याचना मां का अंतिम संस्कार करके शोक संतप्त युवा बेटे ने अपने दुखी पिता को कहा? ‘‘पिता जी, आप भी हमारे साथ आकर क्यों नहीं रहते?’’ वृद्ध पिता पहले तो कुछ झेंप सा गया और फिर कहने लगा। By Lotpot 20 Dec 2023
Stories Moral Story: कच्चा-पक्का संत दादू दयाल अपनी सादगी और सहनशीलता के लिए सर्वत्र विख्यात थे। एक बार एक थानेदार घोड़े पर सवार होकर उनके दर्शन को चल पड़ा। संत दादू फटे-पुराने वस्त्र पहने एक पेड़ की छाया में बैठे कुछ काम कर रहे थे। By Lotpot 19 Dec 2023
Stories Moral Story: ईर्ष्या का फल गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूल फिर से खुल गये थे। राम जो कि अपनी कक्षा में हमेशा सर्व प्रथम आता था। हर साल की तरह इस बार भी सर्व प्रथम आकर अगली कक्षा में चला गया था। By Lotpot 18 Dec 2023
Stories Moral Story: चित्रकार की सीख एक युवा कलाकार बहुत कम समय में ही प्रख्यात हो गया। उसे अपनी कला पर पूरा विश्वास था। लेकिन उसके मन में प्रसिद्ध कलाकार माइकल एंजेलो के प्रति ईष्र्या घर कर गई। वह उन्हे किसी न किसी तरह नीचा दिखाने की सोचने लगा। By Lotpot 14 Dec 2023
Stories Moral Story: अदभुत आंनद एक संत को अपना भव्य आश्रम बनाने के लिए धन की जरूरत पड़ी। वह अपने शिष्य को साथ लेकर धन जुटाने के लिए लोगों के पास गए। घूमते-घूमते वह सूफी संत राबिया की कुटिया में पहुँचे। By Lotpot 08 Dec 2023
Stories Moral Story: जीवन की भागम-भाग एक गुरूजी गुरूकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। वहां बड़े-छोटे सभी घरों के बच्चे पढ़ते थे। शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी। सभी घर लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी गुरू जी वहां आ गए। By Lotpot 08 Dec 2023
Stories Moral Story: अनजाने कर्म का फल एक राजा ब्राह्मणों को महल के आँगन में भोजन करा रहा था। राजा का रसोइयां खुले आँगन में भोजन पका रहा था।उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के ऊपर से गुजरी। By Lotpot 07 Dec 2023
Stories Moral Story: संगत का फल कौशिकांबा नगर में राजा रवि एक प्रतापी, दयालु न्यायप्रिय व महान धार्मिक स्वभाव के राजा थे। वे प्रतिदिन प्रायः स्नानादि से निवृत होकर पूजापाठ में काफी समय लगाते, जब कहीं राज्य कार्य में जुटते थे। By Lotpot 05 Dec 2023