Moral Story: तितली का संघर्ष
एक बार एक आदमी को अपने गार्डन में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा। अब हर रोज वो आदमी उसे देखने लगा, और एक दिन उसने नोटिस किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है।
एक बार एक आदमी को अपने गार्डन में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा। अब हर रोज वो आदमी उसे देखने लगा, और एक दिन उसने नोटिस किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है।
एक बार एक आदमी ज्योतिषी के पास गया। वह देखना चाहता था कि ज्योतिषी उसके भविष्य के बारे में क्या कहेगा। ज्योतिषी ने अपने जादुई गेंद में देखकर आदमी की तरफ देखा। उस ज्योतिष के चेहरे के हावभाव सब कुछ बयां कर रहे थे।
एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने कुछ अनोखा देखा, ‘‘कितना अजीब है ये!’’ उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा।
एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु-बेटे के यहाँ शहर रहने गया। उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था, उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था। वो एक छोटे से घर में रहते थे, पूरा परिवार और उसका चार वर्षीय पोता।
एक बार एक पिता-पुत्र एक घोड़ा लेकर जा रहे थे। पुत्र ने पिता से कहा ‘‘आप घोड़े पर बैठें, मैं पैदल चलता हूं"। पिता घोडे़ पर बैठ गया। मार्ग से जाते समय लोग कहने लगे, ‘‘बाप निर्दयी है। पुत्र को धूप में चला रहा है।
एक दस वर्षीय लड़का रोज अपने पिता के साथ पास की पहाड़ी पर सैर को जाता था। एक दिन लड़के ने कहा, ‘‘पिताजी चलिए आज हम दौड़ लगाते हैं, जो पहले चोटी पर लगी उस झंडी को छू लेगा वो रेस जीत जाएगा"।
एक शहर में एक धनवान व्यक्ति रहता था। वह बहुत बड़ा व्यवसायी था और उसके पास किसी भी वस्तु की कमी नहीं थी लेकिन फिर भी वह हमेशा चिंतित और बेचैन रहता था। एक दिन वह एक गाँव में ऋषि से मिलने उनके आश्रम गया।