हिंदी जंगल कहानी: बुराई का नतीजा

एक घने वन में एक हरीश नामक हिरण और कालू कौआ दोनों रहते थे, दोनों में गहरी दोस्ती थी कालू कौआ सुबह उठकर ऊंचा उड़ता और हरी भरी घास का पता लगाता।

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बुराई का नतीजा

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हिंदी जंगल कहानी: बुराई का नतीजा:- एक घने वन में एक हरीश नामक हिरण और कालू कौआ दोनों रहते थे, दोनों में गहरी दोस्ती थी कालू कौआ सुबह उठकर ऊंचा उड़ता और हरी भरी घास का पता लगाता। फिर वह अपने दोस्त हरीश हिरण को उस जगह का पता बता देता। हिरण पेट भर घास खाता और नदी में पानी पीकर कौआ भी अपना पेट भर लेता। इस तरह दोनों खा पीकर शाम को अपने ठिकाने लौट आते। सुख से खा पीकर हिरण खूब मोटा हो गया था।

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एक दिन एक दुष्ट गीदड़ की नजर हिरण पर पड़ी। उसने सोचा कि इसे किसी तरह... 

एक दिन एक दुष्ट गीदड़ की नजर हिरण पर पड़ी। उसने सोचा कि इसे किसी तरह फंसाना चाहिए। ताकि उसका मांस उसे खाने को मिल जाए। उसने हिरण से दोस्ती का नाटक रचाया कालू कौआ समझदार था उसने कहा- हिरण भाई, इस गीदड़ की नीयत अच्छी नहीं है। तुम इसकी बातों में न आना पर नई नई दोस्ती के चाव में हिरण ने कौए की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया, धीरे धीरे वह सारा दिन गीदड़ के साथ ही रहने लगा।

एक दिन गीदड़ ने उसे किसान के खेत में जाने की सलाह दी कुछ दिन बाद किसान ने अपने खेत में जाल बिछा दिया हिरण उसमें फंस गया, इतने में गीदड़ आया हिरण को जाल में फंसे देख वह मन ही मन बहुत खुश हुआ। हिरण बोला भाई गीदड़ आप इस जाल को अपने दांतो से काट मुझे छुड़ा दीजिए। दुष्ट गीदड़ बोला अरे भाई हिरण मैं क्या करूं? आज तो शनिवार है मेरा तो उपवास है, सो मैं मांस को नहीं छू सकता।

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अब हिरण को अपनी भूल का पता चला। उस रात को जब हिरण घर नहीं लौटा तो कालू कौआ उसकी खोज में निकला। उसे जाल में फंसा देखकर कौए को बहुत दुख हुआ। हिरण रोने लगा तो कौआ बोला- "घबराओ नहीं मेरे प्यारे दोस्त! अभी किसान आने ही वाला है तुम मरे हुए हिरण की तरह अकड़कर पड़ जाओ, जब किसान जाल लपेटना शुरू करेगा तब मैं कांव.. कांव करके तुम्हे इशारा कर दूंगा तुम जल्दी उठकर भाग जाना"।

हिरण ने ऐसे ही किया। उसे भागते देख किसान ने एक डंडा खीचकर मारा। हिरण को तो डंडा लगा नहीं गीदड़ झाड़ियों में छिपा बैठा था वह उस डंडे से मर गया। याद रखो बच्चों कभी किसी का बुरा मत सोचो.. बुराई का नतीजा हमेशा बुरा होता है।

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