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“पुष्प की अभिलाषा” हिंदी साहित्य की एक ऐसी अमर देशभक्ति कविता है, जो मातृभूमि के प्रति समर्पण, त्याग और वीरता की भावना को बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली शब्दों में व्यक्त करती है। यह कविता सिर्फ एक फूल की इच्छा नहीं, बल्कि हर भारतीय के हृदय में बसे उस प्रेम और कर्तव्य की भावना का प्रतीक है, जो देश की रक्षा के लिए सब कुछ न्यौछावर करने की प्रेरणा देती है।
कविता में कवि यह स्पष्ट करता है कि उसे किसी विलासिता, सौंदर्य, सम्मान या देवताओं के चरणों में स्थान पाने की लालसा नहीं है। उसकी एकमात्र इच्छा है कि वह मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीरों के पथ पर बिखर जाए, जहाँ देश के लिए प्राण देने वाले साहसी योद्धा चलते हैं। यही पंक्तियाँ इस रचना को राष्ट्रीय भावना से भर देती हैं और इसे भारत की सर्वश्रेष्ठ देशभक्ति कविताओं में स्थान दिलाती हैं।
यह कविता बच्चों, छात्रों और सभी पाठकों में देशप्रेम की भावना जगाती है। इसके माध्यम से व्यक्ति सीखता है कि सच्चा सम्मान भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि देश के प्रति निष्ठा और बलिदान में छिपा है।
इस कविता का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है—देश के लिए समर्पण ही सच्ची महानता है।
